कि जैसे दुनिया देखने की ,
जिद के सही सांझ
न होने पर पूरा….
सो जाए मचल-मचल कर ,
रोता हुआ बच्चा !
तो तैर आतीं हैं ,
उस के सपनो में ,
वही चमकीली छवियाँ…
जिन के लिए लड़ कर ,
हार-थक गया था ,
पत्थर-दुनिया से जाग में !
ऐसे उतर आती हो तुम ,
रात-रात भर ,
मेरे सपनो के भाग में …….!
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